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- Mukesh Ambani (RIL) Vs SEBI; Reliance Appeal In Supreme Court Against Securities Appellate Tribunal (SAT)
मुंबई7 घंटे पहले
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सेबी के आदेश को रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सैट में चुनौती दी थी। सैट ने सेबी के आदेश को बरकरार रखा। इसी को रिलायंस सुप्रीम कोर्ट में चुुनौती देगी।
- 2007 में रिलायंस पेट्रोलियम से जुड़े मामले में सेबी ने दिया था आदेश
- आरपीएल को 2009 में रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ मिला दिया गया था
देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने SAT के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है। दरअसल सेबी ने RPL के शेयरों में अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस के मामले में कंपनी और 12 प्रमोटर्स पर शेयरों में कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही 447 करोड़ रुपए ब्याज के साथ देने का आदेश दिया था। इसी को रिलायंस इंडस्ट्रीज ने SAT में चुनौती दी थी जहां सैट ने सेबी के आदेश को सही ठहराया है।
2.1 मेजॉरिटी के साथ ऑर्डर दिया
सिक्यूरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने 2.1 की मेजॉरिटी ऑर्डर के साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज की अपील को 24 मार्च 2017 को खारिज कर दिया था। यह मामला रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड (RPL से जुड़ा था। यह कारोबार 2007 में हुआ था। मुकेश अंबानी की कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
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जो भी ट्रेड हैं वही सही हैं
कंपनी ने कहा है कि वह SAT के ऑर्डर की अभी समीक्षा करेगी। कंपनी द्वारा जो भी ट्रेड किए गए हैं वह सही हैं और बोनाफाइड हैं। इस लेन-देन में कोई भी गलत काम नहीं किया गया है। आरआईएल ने यह भी कहा है कि उसने 2007 में किसी भी कानून या रेगुलेशन को नहीं तोड़ा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि वह इस बारे में सही कानूनी सलाह ले रही है और सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अपील करेगी।
कंपनी और 12 प्रमोटर पर प्रतिबंध
बता दें कि 24 मार्च 2017 को सेबी ने आरआईएल और इसके 12 प्रमोटर ग्रुप कंपनियों को इक्विटी डेरिवेटिव में कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। सेबी ने यह भी आदेश दिया था कि आरआईएल 447 करोड़ रुपए का पेमेंट ब्याज के साथ करे। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने मार्च 2007 में यह फैसला किया था कि वह आरपीएल में 4.1 पर्सेंट हिस्सेदारी बेचेगी।
आरपीएल को आरआईएल के साथ मिलाया गया
आरपीएल शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनी थी जिसे बाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ मिला दिया गया था। लेकिन आरपीएल के शेयरों में गिरावट रोकने के लिए पहले शेयरों को फ्यूचर बाजार में बेचा गया और बाद में इसे स्पाट मार्केट में बेचा गया। इसी मामले में सेबी ने उस समय रिलायंस इंडस्ट्रीज को ऑर्डर दिया था।